अगले दिन सुबह 8 बजे सूरी का फ़ोन आया- सर, आज दस बजे उसको तैयार रहने बोलिए, कल सुबह तक के लिए बुक किया है उसको। बहुत किस्मत से मेरे एक क्लाईंट का फ़ोन आया अभी। पाकिस्तानी हैं, अबुधाबी में रहते हैं। बाप-बेटा हैं पर एक साथ ही लड़की चोदते है। पूरी दुनिया में बिजनेस है उनका। जहाँ जाते हैं पहले एक दिन सिर्फ़ वहाँ की स्थानीय लड़की चोदते हैं। पैसा बहुत देते हैं सर। उसको बीस हज़ार में बुक किया है, आज दिन और फ़िर रात के लिए। काफ़ी भाग्यशाली है यह माल। पहली बार ही बुड्ढा और जवान दोनों मिल जायेंगे उसको।
सानिया तब बाथरुम में थी। मैंने जब उसको बताया तो वो बहुत खुश हुई।
मैंने कहा- मुझे ट्रीट देना पड़ेगा !
तो वो जवाब में बोली- रोज तो आपको टीट(चुची) देती हूँ, अभी ट्रीट बाकी है क्या?
सानिया ने शब्दों से अच्छा खेला था। फ़िर मेरे ऑफ़िस जाते समय वो भी साथ ही घर से निकली। रास्ते में मैंने सूरी को फ़ोन किया कि सानिया को मैं कहाँ छोड़ूँ !
सूरी ने सानिया को एक चौराहे पर छोड़ने को कहा कि वो खुद सानिया को लेकर के होटल ले जायेगा।
सूरी हम लोग का वहाँ इंतजार कर रहा था। मैंने सानिया को "बेस्ट ऑफ़ लक" कहा और ऑफ़िस के लिए निकल गया।
मेरे दोस्त की बेटी सनिया खान एक टीपिकल मुस्लिम लड़की बनी हुई थी। आज उसने सफ़ेद जौर्जेट का हल्का कामदार सलवार-सूट पहना था और हरे दुपट्टे को सर पर से ओढ़ा था। उसका गोरा चेहरा सुर्ख हो कर दमक रहा था। पूरे आत्मविश्वास के साथ वो मुझे बाय करके सूरी की गाड़ी में बैठ गई।
सूरी ने कहा- सर, सुबह को आठ बजे तक इसकी बुकिंग है, फ़िर एक-सवा घन्टा मैं इसके साथ हूँगा और करीब दस बजे तक मैं इसको आपके घर के पास छोड़ दूँगा।
इसके आगे की बात सानिया के शब्दों में : क्योंकि जब वो लौटी तो अगले एक दिन उसने मुझसे नहीं चुदवाया और इस दौरान उसने जो बताया वही मैं लिख रहा हूँ।
उसने तीन बार नोट-बुक को पढ़ा और फ़िर जब अपनी कहानी से संतुष्ट हो गई तब खुश हो गई कि अब वो भी कहानी लिख सकती है।
तो पढ़िए सानिया की कहानी सानिया की जुबानी !
सूरी मुझे होटल पोल्का में एक स्यूएट में ले गया। वहाँ पहले से ही दोनों मौजूद थे। बाप का नाम था वकार अली खान और बेटे का आसिफ़ अली खान। बेटा 25-26 साल का खूबसूरत मर्द था जबकि बाप 55 साल के करीब होगा, मेरे अब्बा से बड़ा था उमर में पर फ़िट था। बाल सब सफ़ेद हो गये थे पर दिखने में वो भी अच्छा था।
मुझे देख दोनों बहुत खुश हुए और सूरी से कहा- इसीलिए सूरी हम तुम्हें ही खोजते हैं। तुम माल बहुत जानदार लाते हो।
सूरी भी दाँत निकाल कर हँसा और झूठ कहा- सर आपके लिए इसको लखनऊ से बुलवाया है। इसकी मौसेरी बहन सबीहा मेरे साथ टीम में है, वही इसको लाई है। एक दम घर की चीज है सर। आप चखेंगे तो खुद समझ जाएँगे।
वकार अली बोला- देखने में तो हूर है, पर थोड़ा अनुभवी भी हो तो मजा ज्यादा आयेगा। कच्ची लड़की चुदाते समय बहुत ड्रामा करती है।
इस पर सूरी बोला- कच्ची नहीं है सर, घर पर चुदी है, दो-चार बार अपने रिश्ते के एक चाचा से। सबीहा के साथ तो हमेशा ही मजे करती है, जब सबीहा इसके घर जाती है।
फ़िर मुझसे कहा- तुम भी बोलो न, सर जो कह रहे हैं तो बात करना चाहिए।
फ़िर उन दोनों से बोला- पहली बार आज होटल में आई है सर, इसलिए शायद सकपका रही है।
आसिफ़ चुपचाप बैठ कर मुझे घूर रहा था, उसके अब्बा ही सारी बात कर रहे थे। उन्होंने सूरी को एक बीयर ऑफ़र किया और मुझसे पूछा- तुम भी लोगी क्या?
तो मैंने मना कर दिया। सूरी ने जब तक बीयर पी, वकार ने पैसे उसको दे दिए।
सूरी ने मुझसे पूछा- पैसे तुम रखोगी?
मैंने ना में सर हिला दिया, तो वो सब पैसे अपने साथ ले कर निकल गया कि वो अब कल सात बजे आ जायेगा।
सूरी के जाने के बाद वकार ने मुझसे मेरा नाम पूछा तो मैंने अपना असली नाम सानिया खान बता दिया।
उन्होने फ़िर पूछा- पठान हो?
मैंने हाँ मे सर हिलाया तो पहली बार मुझे छुआ उन्होंने। मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर बोले- डरो मत, इस तरह चुप मत रहो। बात करो ! तुम तो चुदा चुकी हो, तुम्हें सब पता है। तुम्हारी मर्जी है ना इस काम की, या सूरी किसी मजबूरी में पकड़ लाया है?
मैंने कहा- ऐसी बात नहीं है। मुझे यह सब करने में मजा भी बहुत आता है।
अब आसिफ़ पहली बार बोला- कुछ खाओगी, मँगाऊ?
तो मैंने कहा- मैं नाश्ता करके आई हूँ।
वकार अब बोले- आसिफ़ बेटा, ले जाओ इसको बेड पर और तुम्हीं पहले चोद लो इसको, जवान हो तुम बार बार चोद सकते हो। मैं शाम में एक बार चोदूँगा। साढ़े ग्यारह बज गए हैं, डेढ़ बजे के लिए लंच ऑर्डर कर देता हूँ।
ओके अब्बू ! कहते हुए असिफ़ उठ गया।
वकार ने रुम सर्विस को ऑर्डर किया- चार बीयर अभी और खाना डेढ़ बजे।
आसिफ़ बेडरूम के दरवाजे पर पहुँच कर मुझे बोला- आ जाओ सानिया डार्लिंग !
और मैं भी उठ कर पीछे पीछे चल दी। वकार हँसते हुए पास आया और मेरा दुपट्टा मेरे बदन से खींच लिया, कहा- पहले बुजुर्ग से इजाजत लो बेटी !
मैं सिटपिटा गई, तो वो हँसा और मेरे चेहरे पर नजर गड़ा कर कहा- जाओ और मेरे बेटे को अपने बदन का पूरा मजा दो।
आसिफ़ अब बोला- अब्बूज़ान, आप इसको ठीक से चेक कर लो ना पहले। तब तक मैं जरा फ़ारिग हो ही लूँ ! फ़िर जरा जम के लूटूँगा इसे। ऐसी मस्त हूर जैसी चीज हरदम नहीं मिलती !
और उसने पेट पर हाथ फ़ेरा कि उसे टट्टी जाना है। मुझे कहा- जाओ अब्बूज़ानी का एक बार चूस कर खाली कर दो।
मुझे समझ आ गया कि ये दोनों बाप-बेटे मिल कर आज मुझे एक बार की बुकिंग में ही रन्डीपने की डिग्री देने लायक पढ़ा देंगे। मेरी चूत गीली होने लगी।
आसिफ़ बाथरुम चला गया और वकार ने इशारे से मुझे अपने पास बुलाया और अपने पजामे की डोरी को ढीला कर दिया। साफ़ था कि मुझे अब उसका लण्ड चूसना था।
मैंने पजामा नीचे खींच दिया। उसका लण्ड लगभग सिकुड़ा हुआ था, करीब 5"। थैली भी ढीली थी, पर बड़ी थी और उसके भीतर का दोनों गोटी साफ़ दिख रहा था फ़ूली हुई। लण्ड के चारों तरफ़ बड़ी-बड़ी झाँटे थी और उसमें से कई बाल सफ़ेद थे। लण्ड का सुपारा भी थोड़ा सफ़ेद रंगत लिए था।
मैंने लण्ड हाथ में लिया और मुँह में डाल चूसने लगी। वकार का वो इलाका हल्के पसीने की खुश्बू या बदबू से भरा था, पर मुझे तो ये सब कहना नहीं था। धीरे-धीरे लण्ड में ताव आने लगा। जब वो 6" का हो गया तब वकार बोला- बेटा अब तुम भी कपड़े हल्के कर लो। तुम्हारे तराशे हुए बदन को देख यह साला जल्दी निपट जायेगा।
मैं उठी और कुर्ते के ऊपर के दो बटन खोल कर उसको अपने सर के ऊपर से निकाल दिया। फ़िर मैंने अपनी सलवार को खोला और अपने पैरों से बाहर कर दिया।
वकार सब देख रहा था। मैंने अब अपनी सफ़ेद शमीज भी उतार दी। फ़िर पहली बार वकार से नज़र मिलाई। अभी मेरे बदन पर एक सफ़ेद ब्रा और काली पैन्टी थी। मैंने अपना हाथ पीछे किया और ब्रा का हुक छुआ हीं था कि वकार बोला- अब रहने दो, कुछ आसिफ़ के सामने खोलना।
मैं रुक गई और एक बार फ़िर उसका लण्ड चूसने लगी। वो अब मेरे पीठ और चूचियों पर अपने हाथ घुमा रहा था। मेरा बदन हल्की सिहरन से भर रहा था और चूत भी गीली हो रही थी। वो मेरे लण्ड चूसने की कला की दाद देता और मैं और जोर से चूसती।
तभी आसिफ़ आ गया और पास आकर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया, जिसके बाद उसके अब्बा का हाथ अब मेरे चुचूक से खेलने लगा और मैं सिसक उठी।
वकार यह देख आसिफ़ से बोला-"बहुत ताज़ा माल दिया है सूरी इस बार, पूरा पैसा वसूल।
वकार अब छुटने वाला था, तब वो बोला- तुमको मेरा सारा मणि खा जाना है।
मेरे लिए यह कोई नई बात नहीं थी, पर यह शब्द नया था, शायद पाकिस्तान में वीर्य को मणि बोलते हैं। मुझे तो हिन्दी के शब्द ही आते थे। मैं मुँह खोल कर सामने जमीन पर बैठ गई और वकार ने हाथ से अपना लण्ड हिला-हिला कर पिचकारी मारी। छः बार में सारा वीर्य मेरे मुँह में डाल दिया जिसे मैं चाट गई।
अब उसने मेरा मुँह चूम लिया और बोला- अब जाओ और आसिफ़ से चुदो अच्छे से।
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