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Tuesday, March 29, 2011

मैं और मेरी प्यारी शिष्या-2

अन्तर्वासना के सभी दोस्तों का ढेर सारा प्यार मिला उनके ई-मेल के ज़रिये ! काफी अच्छा लगा इतने सारे ईमेल देख कर ..

जैसा कि मैंने आपको पहली कहानी "मैं और मेरी प्यारी शिष्या" में बताया था कि कैसे तनवी का और मेरा पहला प्यारा तन्हाई वाला मिलन हुआ और घर वाले अभी और दो दिन के बाद आने वाले थे तो मेरे पास अभी और दो दिन थे तनवी को मन भर कर प्यार करने के लिये।

उस दिन जाने के बाद शाम को तनवी का फोन आया.. काफी देर तक हम दोनों बाते करते रहे..

मैंने कहा- तनवी, मुझे तुम्हारे कोमल-कोमल गाल, कोमल-कोमल होंठ, बड़ी-बड़ी आँखें जो हल्का सा काज़ल लगने के बाद इतनी कातिलाना हो जाती है कि किसी का भी खून हो जाए.. देखो मेरा कर दिया ना !!

तो वो शरमा गई और बोली- इतनी भी खूबसूरत नहीं हूँ..

मुझे उसकी यह बात बहुत अच्छी लगी.. इतनी बला की खूबसूरत होने के बाद भी उसमें फालतू वाले नखरे नहीं थे..

फिर मैंने उससे कहा- कल थोड़ा जल्दी आ जाना, कल ज्यादा पढ़ाई करनी है..

तो वो बोली- नहीं आउंगी तो मैं समय पर ही ! क्योंकि कालेज से जल्दी वापस नहीं आ पाउंगी और फिर घर आकर एकदम से टयूशन तो नहीं आ सकती ना ! मम्मी का हाथ भी बटाना होता है ना थोड़ा घर के कामों में.. इसीलिए समझे मेरे प्यारे अन्नू !

मैंने कहा- ठीक है ! मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगा !

फिर हम दोनों ने एक दूसरे से लव यू ! लव यू ! कहा, फोन पर एक दूसरे को चूमा भी, और फोन रख दिया !

फोन रखने के बाद मेरे दिमाग में दूसरे दिन के लिये कुछ शरारतें घूमने लगी.. फिर अगले दिन उसके आने से पहले मैंने घर को अच्छे से साफ़ किया, रूम फ्रेशनर का स्प्रे किया !

बाज़ार से जाकर उसके लिये ज़ेर्बेरा के फुल और उनके बीच में एक लाल गुलाब वाला गुलदस्ता लाकर फ्रिज में रख दिया। एक बात मैं आप सभी को बताना चाहूँगा कि लड़कियों को ब्लू फिल्मों से ज्यादा एक तन्हाई वाला रोमांटिक माहौल, फूल और हल्का-हल्का संगीत ज्यादा उत्तेजित करता है.. और एक रोमांटिक माहौल में किया गया लव और एक ब्लू फिल्म देख कर किये गये लव-मेकिंग में काफी अंतर होता है।

यह सब करने के बाद मैं उसके आने का इंतज़ार करने लगा.. ऐसा लग रहा था कि जैसे समय आज जाने कितना धीरे-धीरे बीत रहा है..

खैर उसके आने का समय हो गया और वो अपने आने के समय से 5 मिनट जल्दी आ गई.. उसे देख कर मेरे तो होश ही उड़ गए.. क्या लग रही थी वो.. सफ़ेद रंग की टी-शर्ट और नीले रंग की जींस.. बाल खुले हुए थे और उसका 34 डी वक्ष उसकी ख़ूबसूरती को एक हॉट-लुक दे रहा था..

मैं बस गेट खोल कर उसको देखता रहा तो वो मुस्कुरा गई और बोली- आज आप अंदर आने दोगे या बाहर से वापस भेजने का इरादा है?

तो मैं शरमा गया- नहीं.. मैं तो बस किसी की ख़ूबसूरती में खो गया था..

वो शरमा गई और उसके गाल हल्के-हल्के लाल से हो गए।

वो अंदर आ गई और मैंने गेट बंद कर दिया, अंदर आकर उसको पीछे से पकड़ लिया, अपने हाथ उसकी कमर में डाल दिए और उसके बदन की खुशबू लेने लगा। उसके बदन की खुशबू इतनी मस्त थी कि किसी को भी दीवाना बना दे.. मैं उसकी खुशबू में खो गया।

तो वो बोली- लगता है आज पढ़ाने का बिल्कुल भी मूड नहीं है..

मैंने कहा- कोर्स की पढ़ाई तो हर रोज़ करते हैं, आज कोर्स से बाहर की पढ़ाई करेंगे, इससे व्यक्तित्व का विकास होगा.. तो वो मुस्कुरा गई ये सुनकर..

अभी तक मैं उसको पीछे से पकड़ा हुआ था और हम दोनों खड़े हुए थे.. फिर मैंने उसकी गर्दन के पीछे से बालों को हटाया और उसकी गर्दन पर चूमा.. उसकी सांसें तेज़ हो गई.. फिर मैंने उसको उसके कानों के पीछे चूमा, तो वो गर्म होने लगी थी.. फिर मैं उसको पकड़े-पकड़े ही पीछे की तरफ चलने लगा और धम्म्म्म से सोफे पर बैठ गया और वो मेरी गोद में आ गिरी.. उसके भारी कूल्हे मेरे लंड को अच्छे से दबा रहे थे..

वो घूम गई और उसका चेहरा मेरे चेहरे के सामने आ गया.. हम दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे और चुम्बन प्रगाढ़ होता चला गया। वो मेरी गोद में ही बैठी रही और हम दोनों एक-दूसरे को करीब दस मिनट तक लगातार चूमते-चाटते रहे..

फिर मैं रुक गया।

मैंने उससे कहा- मेरे पास तुम्हारे लिये कुछ है.. चलो कमरे में चलते हैं।

हम कमरे में आ गये.. मैंने वहाँ एक रोमांटिक गाना चला दिया और उसको वो गुलदस्ता दिया.. जिससे देख कर वो बहुत खुश हुई.. बहुत ही प्यार से बोली- ये मेरे लिये हैं? सच में ?

मैंने कहा- हाँ !

फिर मैंने उसका हाथ अपने हाथो में लेकर कहा- एक डांस हो जाए..

तो उसने हाँ में गर्दन हिला दी..

हमने एक-दूसरे को कपल डांस के लिये पकड़ लिया.. मैंने अपने हाथ उसकी कमर में डाल दिए और उसने अपने दोनों हाथ मेरे गले में ! और हम एक दूसरे की आँखों में आँखे डाल कर हल्के-हल्के डांस करने लगे.. उसकी चूचियाँ मेरे सीने से लगी हुई थी.. मैंने अपनी पकड़ ज्यादा कर दी तो उसके दोनों स्तन मेरे सीने से दब कर चिपक गए। डांस करते करते ही मैंने उसको चूमना शुरू कर दिया.. उसकी दोनों आँखों को चूमा फिर दोनों गालो को, उसके मक्खन जैसे गुलाबी होंठों को, उसकी गर्दन पर, उसकी कान के पीछे की तरफ ! सब जगह ..

वो भी मेरा साथ दे रही थी पूरी तरह !

उसकी साँसें बहुत तेज़ हो गई थी- अम्म म्मम्म उफ़्फ़ अम्फ़ जैसी आवाज़ें करने लगी..

मैंने अपने हाथ उसकी टी-शर्ट में पीछे से डाल दिए और उसकी नंगी पीठ को सहलाने लगा..

हमारी साँसें काफी गरम हो चुकी थी। अब मैं अपने दोनों हाथों से उसकी चूचियाँ दबाने लगा। चूचियाँ फूलने लगी थी और दबाते दबाते काफी कड़ी हो गई।

फिर मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी.. वो लाल रंग की ब्रा पहने हुए थी..

उफ़्फ़ ! लाल रंग की ब्रा में उसके सफेद दूध जैसे स्तन ! एक अदभुत सुन्दरता थी उसके स्तनों में ! वैसे भी मेरा मानना है कि स्तन किसी भी लड़की के शरीर का सबसे खूबसूरत अंग होते हैं..

मैंने उसकी ब्रा नहीं उतारी बल्कि एक स्तन ब्रा को नीचे खींच कर बाहर निकाल लिया और चुचूक को चुसुकने लगा ..कितने मुलायम था वो हलके भूरे रंग का ..

एक हाथ से उसके एक स्तन को ब्रा कर ऊपर से ही दबाने लगा, दूसरे से उसके दूसरे स्तन को पकड़ कर चूस ही रहा था..

वो मस्त होने लगी थी, बोली- और चूसो ! और जोर से चूसो !

और उसने अपने हाथो में मेरा लंड मेरे पजामे के ऊपर से ही पकड़ लिया और मसलने लगी।

मैंने उसकी ब्रा उतार दी.. अब उसके दोनों मम्मे मेरे हाथों में थे.. मैं उनको जोर जोर से दबा कर चूसने लगा.. मुझे चूचियों से खेलने में बहुत मज़ा आता है..

वो मेरे लंड को मसल रही थी। तभी मुझे अपनी पिछली शाम सोची हुई एक शरारत याद आ गई..

मैंने उसको अपनी एक बनियान दी और कहा- इसको पहन लो..

वो बोली- क्यों?

मैंने कहा- पहनो तो..

फिर मैं कमरे से बाहर गया और अपने दोनों हाथों में कुछ लेकर वापस आ गया और फिर मैंने अपने दोनों हाथ नीचे से उसकी बनियान में डाल दिए और जो मेरे हाथों में था वो मैंने उसकी दोनों चूचियों के ऊपर रख कर उनको पकड़ लिया ताकि वो उस चीज को गिरा ना दे..

उस चीज के लगते ही उसके मुँह से एक जोर की सिसकारी- ईईईईईईए आआआआआम्मं स्स्स्सीईईई निकल गई..

असल में मेरे दोनों हाथो में बर्फ के टुकड़े थे जो मैंने उसके स्तनों के ऊपर रख दिए थे जिससे उसकी सिसकियाँ निकलने लगी थी।

उसने मेरे लंड को पजामे में से खींच कर बाहर निकाल दिया और जोर जोर से आगे पीछे करने लगी। गर्मी इतनी ज्यादा थी कि उस वक़्त दो मिनट में ही सारी बर्फ पिघल गई। फिर उसने वो बनियान उतार दी और मुझे धक्का देकर पलंग पर गिरा दिया और मेरा पजामा खींच कर उतार दिया, अपनी जींस भी उतार दी..

उसने लाल रंग की ही चड्डी पहनी थी.. लाल रंग की चड्डी और उसकी वो गोरी चिकनी जांघें..

अपना आप को सम्हालना काफी मुश्किल हो जाता है ! खैर..

अब हम दोनों सिर्फ चड्डियों में थे, उसने चड्डी की बगल से मेरे लंड को बाहर निकाल कर पकड़ किया और मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगी और आगे पीछे करने लगी..

अब मेरी सिसकारियाँ निकल रही थी- आआह्ह्ह आआह्ह्ह ..ऊऊ म्मम्मम

वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसके चुचूकों के साथ खेल रहा था।

फिर मैंने उसकी गीली चड्डी देखी तो मैं भी उसकी चड्डी के ऊपर से ही उसको सहलाने और दबाने लगा। फिर वो रुक गई और मैं उसकी चूत को चाटने लगा, कभी-कभी उसकी फाकों को अपने दांतों के बीच लेकर काट भी देता जिससे उसकी सिसकी निकल जाती..

उसकी चूत एकदम चिकनी थी, उसने वो हल्के वाले बाल भी हटा दिए थे..

एकदम चिकनी चूत थी उसकी..

मैं उसकी चूत को चाट रहा था और वो बोल रही थी- चाटो प्लीज़ आआआआ ह्ह्ह्हह्ह और चाटो ! जोर जोर से चाटो ! खा जाओ मेरी चूत को ! आआअ ह्ह्ह्हह्ह सीईईईइ म्मम्मम आआआ ह्ह्हह्ह ..

मैं उसकी ये आवाज़ें सुनकर और भी जोश में आ गया और जोर जोर से उसकी चूत को खाने लगा, उसके दाने को अपने दांतों के बीच लेकर दबा देता बीच बीच में..

फिर उसने कहा- प्लीज़ कुछ करो, वरना मैं पागल हो जाउंगी.. पर प्लीज़ लंड मत डालना !

मैंने कहा- ठीक है..

फिर मैंने अपने लंड को अपनी चड्डी में अंदर कर लिया, उसको नीचे गिरा कर उसके ऊपर लेट गया, उसकी टांगें खोल दी और अपने चड्डी के अंदर रखे हुए लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा। तो उसकी आआआआ ह्ह्ह्हह्ह्ह आहें निकलने लगी और वो भी अपनी गांड उठा कर अपनी चूत को मेरे चड्डी के अंदर बंद लंड पर रगड़ने लगी..

हम दोनों जोर जोर से आहें भर रहे थे- आआ ह्ह्ह ऊ म्मम्म आआ ह्ह्हह्ह सीईईईईए आआह्ह्ह और ऐसे ही हम दोनों अपने लंड और चूत को एक दूसरे से रगड़ते रहे। लगभग 5 मिनट के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और मैं भी अपनी चरम सीमा को पहुँचने वाला था, हम दोनों झड़ गए, अपनी अपनी चड्डियों में..

आप लोग सोच रहे होंगे कि यह क्या बेवकूफी है ? चूत और लंड दोनों हैं फिर भी नहीं डाला ..?

तो मैं आपको बता दूँ कि बिना मर्ज़ी के सेक्स में मज़ा नहीं आता और यह जो चड्डियों वाला नया काम हमने किया, उसमें अपना अलग ही मज़ा है..

उसके बाद हम दोनों एक-दूसरे से चिपक कर लेटे रहे और लगभग 15 मिनट के बाद अलग हुए।

फिर वो बोली- अब जाना होगा वरना मम्मी को शक हो जाएगा।

फिर उसने मेरे सामने ही अपने कपड़े पहने, लाल रंग की चड्डी, लाल रंग की ब्रा, ब्लू जींस, और सफ़ेद टी शर्ट।

मुझसे बोली- तुम भी पहनो ना..!

मैंने कहा- मुझे नहीं पहनना !

तो वो हंस पड़ी और बोली- मत पहनो ! ऐसे ही अच्छे लगते हो !

मैं भी हंस पड़ा !

फिर हमने एक-दूसरे को पकड़ कर प्यार किया और उसने मेरी गोलियों को थोड़ा सा सहला दिया..

जाने का मन उसका भी नहीं था और ना मेरा उसको जाने देने का ! लेकिन जाना भी ज़रूरी था क्योंकि अगली दिन भी मिलना था।

वो चली गई अगले दिन आने का कह कर !

दोस्तो, अभी एक और दिन था घर वालो के आने में और उसमें मुझे सारा काम करना था, मतलब पूरा सेक्स !

तो मैं उसके लिये नई शरारत सोचने में लग गया।

तो यह था मेरा और मेरी प्यारी शिष्या के प्रेम-मिलन का दूसरा दिन..

अपने सुझाव मुझे ज़रूर भेजें !

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